पटना : बिहार में भ्रष्टाचार के सीमाओं की उलंघन किस प्रकार किया जा रह हैं उसे बस इस एक खबर के माध्यम से समझा या जाना जा सकता हैं। 8 माह पूर्व राजधानी के एक कोचिंग संस्थान के तीन केंद्रों पर वाणिज्यकर विभाग ने छापेमारी कर टैक्स चोरी पकड़ी। ज्ञात हुआ की इस संस्थान द्वारा फरवरी 2019 से जीएसटी की मासिक विवरणी दाखिल नहीं की जा रही थी। इस कारण वाणिज्यकर विभाग ने इसका निबंधन रद्द कर दिया था।
वहीं वाणिज्यकर विभाग ने चेतावनी दी थी की संस्थान के खिलाफ और गहन जांच होगी। इसके बाद टैक्स, पेनाल्टी और ब्याज के साथ वसूली की जाएगी।
परन्तु अब पटना के गालियारों में इसी संस्थान के बड़े बड़े बैनर देखें जा सकते हैं। सभी बैनर पटना नगर निगम के अंतर्गत लगाए गए हैं। अब सवाल यह उठता हैं की बिना जीएसटी दिए हुए निगम के द्वारा उक्त कोचिंग संस्थान को बैनर लगाने की अनुमति कैसे दे दी गयी।
क्या पटना नगर निगम के इस रवैया पर जाँच नहीं होनी चाहिए? क्या निगम के द्वारा भी जीएसटी के बिना कार्य किया जा रहा हैं? क्या निगम टैक्स चोरी कर रही हैं?
सवाल तो काफ़ी खड़े होते हैं पर क्या इन तमाम सवालों के बीच वाणिज्यकर विभाग पुनः सक्रिय हो कर कोचिंग संस्थान के खिलाफ करवाई करेगी?
बिहार दस्तक को मिली जानकारी के अनुसार वाणिज्यकर विभाग द्वारा संस्थान के निबंधन रद्द किए जाने के बावजूद कोचिंग संस्थान जीएसटी बिल काट रही हैं। उक्त मामले में वाणिज्यकर विभाग द्वारा छपामारी में यह भी ज्ञात हुआ था की एक ही नाम से लिए गए जीएसटी पर बोरिंग रोड केंद्र पर जांच टीम को पता चला यहां किसी और कोचिंग संस्थान के नाम से चल रहा है।
यह संस्थान बिहार की राजधानी में उपस्क की तैयारी कराने को ले कर काफी प्रचलित हैं।अब देखना हैं की इस पुरे मामले पर विभाग द्वारा क्या कुछ कदम उठाया जाता हैं।