बिहार की सत्ता में पिछले 15 साल से काबिज जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण सबसे अहम है। 3 नवम्बर को होने वाले मतदान का यह चरण जदयू के लिए एनडीए गठबंधन के तहत सबसे अधिक उम्मीदवार उतारने और अच्छी-खासी संख्या में अपने पास की सीटिंग सीट बचाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। दल के आला नेता भी इसे स्वीकारते हैं।
प्रदेश जदयू अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पहले चरण में बिहार के मतदाताओं के रुख से हम उत्साहित हैं। दूसरा चरण हमारे लिए स्वाभाविक रूप से मजबूती लेकर आएगा। राष्ट्रीय सचिव रवीन्द्र सिंह ने कहा कि जदयू को दूसरे चरण से उम्मीद अधिक है। गौर हो कि एनडीए गठबंधन के तहत जदयू को 115 सीटें मिली हैं। पहले चरण में जदयू के 35 प्रत्याशी मैदान में थे। वहीं दूसरे चरण में दल ने सबसे अधिक 43 उम्मीदवार उतारे हैं। शेष 37 प्रत्याशी तीसरे चरण में उतरे हैं। इनमें कई पुराने दिग्गज नेताओं की अगली पीढ़ी मैदान में है तो बड़ी संख्या में नए लड़ाकों पर जदयू ने दांव लगाया है।
19 नए प्रत्याशी को जदयू ने मैदान में उतारा है
दूसरे चरण में जदयू के दो मंत्रियों की किस्मत का फैसला होना है। नालंदा सीट से श्रवण कुमार जबकि हथुआ से रामसेवक सिंह मैदान में हैं। इसके अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अली अरशफ फातमी के पुत्र फराज फातमी, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर भी मैदान में हैं। जदयू ने दूसरे चरण की अपनी 43 सीटों में से 19 पर नए प्रत्याशी उतारकर एक बड़ा दांव खेला है। इनमें केसरिया से पूर्व सांसद कमला मिश्र मधुकर की पुत्री शालिनी मिश्रा, रून्नीसैदपुर से पंकज मिश्रा, फुलपरास से शीला मंडल, बेनपुर से अजय चौधरी, मीनापुर से मनोज कुमार, कांटी से मो. जमाल, भोरे से सुनील कुमार, जीरादेई से कमला कुशवाहा, रघुनाथपुर से राजेश्वर चौहान, एकमा से धूमल सिंह की पत्नी सीता देवी, मांझी से माधवी सिंह, मढ़ौरा से अफ्ताफ राजू, वैशाली से सिद्धार्थ पटेल, राजापाकड़ से महेन्द्र राम, साहबेपुर कमाल से शशिकांत कुमार, अलौली से साधना सदा, परबत्ता से डा. संजीव कुमार सिंह, राजगीर से कौशल किशोर और हिलसा से कृष्ण मुरारी शरण पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

कई बागी भी मैदान में
दूसरे चरण में जदयू के कई बागी भी मैदान में हैं। इनमें बैंकुठपुर से पूर्व विधायक मंजीत सिंह और तरैया से शैलेन्द्र प्रताप प्रमुख हैं। ये दोनों ही सीट भाजपा के कोटे में गई है जिससे जदयू के दोनों ही नेता निर्दलीय मैदान में कूद पड़े हैं।