सदियों से बॉलीवुड में बन रही फिल्में हिंदू विरोधी एवं हिंदू को जातिगत आधार पर बांटने की मानसिकता के साथ बनाई जाती रही हैं। इससे निश्चित तौर पर हिंदू धर्म और ज्यादा कमजोर होती नजर आ रही है क्योंकि ऐसा माना और देखा जाता है कि चलचित्र का जीवन में कितना प्रभाव है कि लोग जो कुछ भी पर्दे पर देखते हैं उसे अपने जीवन में ढालने का प्रयास करते हैं। पुरानी हिंदी फिल्मों में चौधरियों को भ्रष्ट और गुंडा दिखाना। लाला को मुंशी के तौर पर भ्रष्ट बताना मुसलमानी को धर्म के प्रति कट्टर एवं समर्पित होने के साथ-साथ ईमान का पक्का बताना। इन तमाम पहलू को देखते हुए क्या अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार सदियों से बॉलीवुड देशभर के हिंदू धर्म के लोगों के प्रति किस प्रकार से जहर घोल रहा है।
नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज की गई एक फिल्म में मंदिर की पवित्रता भंग की गई। फिल्मों में हिन्दुओं की भावनाओं की आहत करने की ये पहली घटना नहीं है। बॉलीवुड (Bollywood) में जैसे एक ये कल्चर बन चुका है।
रिसर्च से हुआ हिंदू विरोधी साजिश का खुलासा
साल 2015 में अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (Indian Institute of management) यानी आईआईएम (IIM) के प्रोफेसर धीरज शर्मा ने एक अध्ययन किया और ज़ाहिर किया कि बॉलीवुड की फिल्में हिंदू और सिख धर्म के खिलाफ लोगों के दिमाग में धीमा ज़हर भर रही हैं। प्रो. धीरज शर्मा इन दिनों आईआईएम रोहतक के डायरेक्टर हैं।
नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई सुटेबल ब्वॉय में अगर एक मंदिर की मर्यादा को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई तो वहीं नेटफ्लिक्स पर ही रिलीज़ हुई एक और फिल्म लुडो को लेकर भी सवाल उठे। इस फिल्म में चार कहानियों को एक में पिरोया गया लेकिन अनुराग बासु अपनी एंटी हिन्दू सोच का गटर यहां भी खोल गए।
हिन्दू धर्म और संस्कृति को निशाना बनाने के लिए अनुराग बसु ने पांडवों को गलत और कौरवों को सही करार दे दिया, वहीं ब्रह्म विष्णु और महेश के रूपों का भी उपहास उड़ाया गया।
ये कहता है IIM प्रोफेसर का शोध
एक रिसर्च के मुताबिक-
– बॉलीवुड की फिल्मों में 58% भ्रष्ट नेताओं को ब्राह्मण दिखाया गया है
– 62% फिल्मों में बेइमान कारोबारी को वैश्य सरनेम वाला दिखाया गया है
– फिल्मों में 74% फीसदी सिख किरदार मज़ाक का पात्र बनाया गया
– जब किसी महिला को बदचलन दिखाने की बात आती है तो 78 फीसदी बार उनके नाम ईसाई वाले होते हैं
– 84 प्रतिशत फिल्मों में मुस्लिम किरदारों को मजहब में पक्का यकीन रखने वाला, बेहद ईमानदार दिखाया गया है, यहां तक कि अगर कोई मुसलमान खलनायक हो तो वो भी उसूलों का पक्का होता है
कट्टरपंथियों के कब्जे में फिल्म इंडस्ट्री
कुल मिलाकर बॉलीवुड में एक खास धड़ा इसी पर काम कर रहा है, उन्हें पक्का यकीन है कि वो अगर हिन्दू संस्कृति पर सवाल उठाएंगे तो ज़ाहिर है लिबरल सनातन समाज उन्हें कठघरे में नहीं खड़ा करेगा। जबकि मुस्लिम समुदाय पैगंबर मोहम्मद के एक कार्टून बनने पर ही बवाल खड़े कर देता है। यही वजह है कि कुछ फिल्मों में हिंदू धर्म के प्रति पक्षपाती रवैया देखा गया।
माना जाता है कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में ज़्यादातर फैसा अंडरवर्ल्ड से आता है और अंडरवर्ल्ड में मुस्लिम डॉन्स का बोलबाला है, लिहाज़ा यहां की फिल्मों से हिन्दुत्व के खिलाफ धीमा ज़हर लोगों के ज़हन में घोला जा रहा है।
कब थमेगा सनातन धर्म के खिलाफ प्रोपगैंडा
भारतीय दर्शन वसुधैव कुटुंबकम और सर्वधर्म समभाव की बात करता है, हिन्दुस्तान सभी धर्मों को समान भाव से देखता है लेकिन हिन्दुस्तान में रहनेवाले और हिन्दुस्तान की खाने वाले कुछ लोगों ने एक एजेंडा चला रखा है। जिसके तहत हिन्दुओं के विरुद्ध एक अभियान चलाया जा रहा है। यही वजह है कि फिल्मों में आज भी ऐसा ही प्रोपगेंडा चल रहा है।





